The Basic Principles Of baglamukhi sadhna



यह साधना किसी भी अमावस्या से प्रारम्भ करें

Mastery in the task can only be reached by way of a Expert. Mastery implies efficiency. The same as an individual desires to create an idol, then He'll do the work of that idol that is proficient In this particular artwork and the learners want to find out the ability of idol from him.

दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें। दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं। दीप जलाने के संदर्भ में ध्यान में रखने योग्य सूत्र:

“यजुर्वेद’के प्रसिद्ध ‘आभिचारिक प्रकरण’ में अभिचार-स्वरूप की निवृत्ति में इसी शक्ति का विनियोग किया गया है। इस प्रकरण का ‘यजुर्वेद’ की सभी संहिताओं (तैत्तरीय, मेत्रायणी, काक, काठक, माध्यन्दिनि, काण्व) में समान-रूप से पाठ आया है। ‘माध्यन्दिनि संहिता’ के भाष्य-कर्त्ता उव्वट, महीधर भाष्यकारों ने जैसा अर्थ इसका लिया है, उसका सार यहाँ देते हैं। पं० ज्वालाप्रसाद कृत मिश्र भाष्य में इसका हिन्दी अनुवाद भी दिया गया है।

सिद्ध-विद्या महेशानि!, त्रिशक्तिर्बगला शिवे! । ।

Shakthi or Devi is no various from the assorted energies and It really is amalgamation of exceptional force that guards and watches constantly...

maa durga Trikal gyan sadhna माँ दुर्गा त्रिकाल ज्ञान सध्ना

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इस साधना में दूसरे स्थान read more पर नहीं जाना चाहिए

Baglamukhi Devi sits within the jewel-inlayed throne. Get mounted to the jewel-inlayed chariot and damage enemies. No one can defeat the devotee of Goddess in The entire planet. He will get achievements in each sphere of existence.

श्रीबगला को त्रि-शक्ति-रूप में माना गया है-

‘पराजयं प्राप्य पलायमानं राक्षसैरिन्द्रादि-वधार्थमभिचार-रूपेण भूमौ निखाता अस्थि केश-नखादि-पदार्था: कृत्या-विशेषा वलगाः।

मां बगलामुखी की साधना में रखें ये सावधानियां, पढ़ें दिव्य मंत्र और विधि * मां बगलामुखी मंत्र जाप, विधि एवं सावधानियां जानिए... 

दुनिया भर में स्थित मां बगलामुखी के ३ मंदिर है । ये मंदिर ही नहीं सिद्ध पीठ भी हैं। यहां आने पर सभी प्रेमियों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां बगलामुखी मंदिर के में जाने पर कोई भी प्रेमी खाली हाथ नहीं लौटता। मा बगलामुखी का एक प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है और दूसरा मंदिर मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में स्थित है जबकि तीसरा मंदिर भी मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित है

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